Posts

Imagination बोले तो कल्पना

Image
समय से परे एक और दुनिया है शायद,मेरी कल्पना के रस्ते मैं अक्सर उस दुनिया में जाता हूँ । ऐसी बातें तथाकथित समाज में फालतू कही जाती है या फिर मूर्खता । मैं ऐसा नहीं मानता । कल्पना एक ऐसी गाड़ी है जिसमे बैठ कर आप कही भी जा सकते हैं कही भी ,वहां भी जहाँ के बारे में आप ने सुना भी न हो । कल्पना ने ही आज तक के अविष्कारों को ज़मीन दी है । कल्पना बहुत ही कमल की चीज है,किसी भी और मनोरंजन से बढ़कर।सबसे कमाल की बात तो ये है की आप इसे साथ के साथ एडिट कर सकते हैं ,आप इसे जितना आगे ले जा सकते हैं उतना ही पीछे भी । कल्पना बहुत ही मज़ेदार चीज है । ये कितनी भी गंभीर हो सकती है और कितनी भी मज़ाकिया । नियमों और व्याकरण से बहुत दूर कल्पना की दुनिया होती है,स्वतंत्र और मनमौजी । मैंअक्सर कल्पना में रहते हुए बहुत खूबसूरत ज़िंदगी जी लेता हूँ । कई बार तो मैं राजा भी बन चुका हूँ किसी बड़ी सी रियासत का और कई बार तो मैं कोलम्बस को रास्ता दिखा चुका हूँ । कहानियो की तो नीव होती है कल्पना । कल्पना करिये और खो जाइये अपनी बनाई एक खूबसूरत दुनिया में । Ashish Mohan Maqtool

August 15, this is not just a date....

Image
15 अगस्त , ये सिर्फ तारीख नहीं है,तरीक होती सिर्फ कलेण्डर  तक सिमित रहती दिलों तक न पहुँचती। एक  अगर लिखूं तो यही  जब हमें आज़ादी मिली थी। आज़ादी इतनी साधारण नहीं होती जितनी साधारण ये लाइन है। आज़ादी की असली कीमत वो जानते है जिन्होंने इसकी कीमत चुकाई है।  ये जो तारिख है उस तक हम यूँ ही नहीं पहुँच गए थे ,हज़ारों लाखों वीरों का खून बहा है ,तमाम माओं ने अपने बेटे  खोये हैं। गुलामी जिन्होंने सही है वही बता सकते है कि ये कितनी दर्दनाक थी।  हम आप जो इस पीढ़ी में है वो सिर्फ कल्पना कर सकते है।  एक सवाल ये बनता है की क्या हम अपनी आज़ादी का फायदा उठा रहे हैं या फिर हम अपनी ज़िम्मेदारियाँ भूल कर बस चले जा रहे  हैं। मैं यहाँ आप को कोई ज्ञान नहीं देने वाला हूँ।  आप अपने दिलों पर हाथ रख कर पूछ सकते हैं। आज़ादी बहुत बड़ी चीज है वो हमें गैर जिम्मेदार नहीं  बनाती।  यहाँ पर मैं  एक बात जोड़ना चाहूंगा कि 15 अगस्त को हमें अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी अभी भी बहुत सी गुलामियां बाकि हैं उनसे आज़ाद होना बाकि है।  अभी बहुत जीना बाकि है ,बहुत कुछ करना बाकि है।  Ashish Mohan Maqtool

हँसते रहिये और जीते रहिये

Image
खुश रहिये, खुश रहो  खुश रहा करो  बड़ी ख़ुशी की बात है  ख़ुशी ख़ुशी जाइये   कितने सारे  जुमले है न ख़ुशी को लेकर ,क्या आप ने  सोंचा है कि आप कितने खुश  हैं....?  आप खुश हैं भी या नहीं।  मुझे नहीं लगता है कि आप खुश हैं।  इस भाग- दौड़ भरी ज़िन्दगी में कहीं हम हसना तो  नहीं भूल गए.......  मैं आप से ये बिलकुल नहीं कहूंगा कि हसना  कितना ज़रूरी है ,खुश रहा करिये, वगैरह  वगैरह। ये आप जानते है। सही बात तो ये है की अगर आप ज़िंदगी को जीना सीख जायेंगे ,हसना भी  सीख ही जायेंगे।  अगर आप हसना सीख गए तो आप को कोई भी तकलीफ ,कोई भी दर्द परेशान नहीं कर पायेगा।  तो हँसते रहिये ,और जीते रहिये। Ashish Mohan 

सोना कितना सोना है

Image
सो रहे हो क्या। .?  नहीं नहीं .आप को जगाने बिलकुल नहीं जा रहा हूँ।  आप सो जाओ।  बस ये घडी है जो रुक ही नहीं रही ,समय है की बस भागे ही जा रहा है।  सोना बहुत ज़रूरी है ,कम से कम ६ घंटे तो सोना ही चाहिए मगर मैं यहाँ  पर उस सोने की बात नहीं कर रहा हूँ मैं बात कर रहा हूँ खुली आखों से सोने की।  खुली आखों से सोने का मतलब है आप अपनी ज़िम्मेदारी से नज़रे चुरा रहे हैं। आप अपने जीवन को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।  जीवन बहुत कीमती होता है। जीवन का मूल्य समझिये। अपने जीवन का एक उद्देश्य निर्धारित कीजिये। जीवन निरुद्देश्य है तो  वह जीवन नहीं है सिर्फ बोझ है। बोझ को मौज में बदलिए।  Ashish Mohan 

हम एक माध्यम - हम सब एक माध्यम

Image
पंख आप के होंगे और उन्हें परवाज़ हम देंगे ,    सुर आप के होंगे और  उन्हें आवाज़ हम देंगे, हम एक माध्यम हैं  हम दिल से कहते हैं  सफ़र आपका होगा - सफ़र को आगाज़ हम देंगे। एक सिरे से दूसरे सिरे तक  जाती हुई लकीर हैं हम  एक किनारे से दूसरे किनारे को जोड़ती  कड़ी दर कड़ी जंजीर हैं  हम  हम एक माध्यम हैं  आप से आप को रूबरू कराती  एक तस्वीर हैं हम। Ashish Mohan Hum Ek Madhyam

Artist of emotions - Manish Kumar

Image
मनीष कुमार (मनप्रीत सिंह ) . शिक्षा =आर. बी. एस. कॉलेज से हिन्दी में बी. ए एम.ए . नाटक का सफर =साल 2013 में इप्टा आगरा के साथ सफर शुरू हुआ। सर जितेंद्र रघुवंशी के सनिध्य मे नुक्कड़ नाटक,ताज महोत्सव, कहानियों का मंचन, इ्प्टा के गीत, एवं अन्य लोक कलाओ का ज्ञान व महत्व एवं बरीकियाँ जानी . कॉलेज मे युवा महोत्सव के अन्तर्गत मोनो एकट, मिमीक्री माइम आदि मे प्रतिभाग कर North zone inter university festival,में शामिल हुऐ और स्थान प्राप्त किये नाटक =किस्से आगरे के, अंधा युग, रामलीला,जिस लाहौर नई देख्या, ओ जम्याई नई ,शम्बूक, राई, सद़गती, किस्सा एक अजनबी लाश का, पाँकिट मार रँगमंडल, . नुक्कड़ =52 सेकंड का उदघोष ,सुनो सुनो ..सुनो, स्वच्छता का महत्व, . एकल अभिनय =अश्वत्थामा(अंधायुग), त़ुगलक, संजय (अंधायुग), . माईम =Save Trees, Stop harassing, Drunk Man And a Little Boy , मनीष जी को आप अगर नहीं जानते हैं तो मैं आप को बता दूँ की ये वो नाम हैं जो आने वाले समय में आप को बुलंदियों पर मिलने वाला है। मनीष हमारी आप की तरह ही कला के साधक है और कला को जी रहे हैं। जीवन और कला के बीच संघर्ष करता ये

रस

Image
रस की अवधारणा भारतीय कला के कई रूपों के लिए मौलिक है, जिसमें नृत्य, संगीत, संगीत थिएटर, सिनेमा और साहित्य शामिल हैं, एक विशेष रस का उपचार, व्याख्या, उपयोग और वास्तविक प्रदर्शन अभिनय की विभिन्न शैलियों और स्कूलों के बीच बहुत भिन्न होता है, और एक शैली के भीतर भी विशाल क्षेत्रीय अंतर। भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में आठ रसों का प्रतिपादन किया, जो नाटकीय सिद्धांत और अन्य प्रदर्शन कलाओं का एक प्राचीन संस्कृत पाठ है, जिसे 200 ईसा पूर्व और 200 ईस्वी के बीच लिखा गया था। भारतीय प्रदर्शन कलाओं में, रस एक भावना या भावना है जो कला द्वारा दर्शकों के प्रत्येक सदस्य में पैदा होती है। नाट्य शास्त्र में एक खंड में छह रसों का उल्लेख है, लेकिन रस पर समर्पित खंड में यह आठ प्राथमिक रसों का उल्लेख और चर्चा करता है। नाट्यशास्त्र के अनुसार प्रत्येक रस का एक पीठासीन देवता और एक विशिष्ट रंग होता है। रस के 4 जोड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, हस्य श्रृंगारा से उत्पन्न होता है । भयभीत व्यक्ति की आभा काली होती है, और क्रोधित व्यक्ति की आभा लाल होती है। भरत मुनि ने निम्नलिखित की स्थापना की • garaḥ (श्रीङ्गारः): रोमांस,