August 15, this is not just a date....


15 अगस्त , ये सिर्फ तारीख नहीं है,तरीक होती सिर्फ कलेण्डर  तक सिमित रहती दिलों तक न पहुँचती। एक  अगर लिखूं तो यही  जब हमें आज़ादी मिली थी। आज़ादी इतनी साधारण नहीं होती जितनी साधारण ये लाइन है। आज़ादी की असली कीमत वो जानते है जिन्होंने इसकी कीमत चुकाई है।  ये जो तारिख है उस तक हम यूँ ही नहीं पहुँच गए थे ,हज़ारों लाखों वीरों का खून बहा है ,तमाम माओं ने अपने बेटे  खोये हैं। गुलामी जिन्होंने सही है वही बता सकते है कि ये कितनी दर्दनाक थी।  हम आप जो इस पीढ़ी में है वो सिर्फ कल्पना कर सकते है। 
एक सवाल ये बनता है की क्या हम अपनी आज़ादी का फायदा उठा रहे हैं या फिर हम अपनी ज़िम्मेदारियाँ भूल कर बस चले जा रहे  हैं। मैं यहाँ आप को कोई ज्ञान नहीं देने वाला हूँ।  आप अपने दिलों पर हाथ रख कर पूछ सकते हैं। आज़ादी बहुत बड़ी चीज है वो हमें गैर जिम्मेदार नहीं  बनाती। 
यहाँ पर मैं  एक बात जोड़ना चाहूंगा कि 15 अगस्त को हमें अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी अभी भी बहुत सी गुलामियां बाकि हैं उनसे आज़ाद होना बाकि है। 
अभी बहुत जीना बाकि है ,बहुत कुछ करना बाकि है। 
Ashish Mohan Maqtool

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