मेरे आस पास जो कुछ भी घटित होता है वह कहीं न कहीं मुझे सोचने पर मजबूर करता है ।वह बात अलग है कि मैं अपने कान और आँखे बंद कर लूँ ।और अगर नहीं बंद करता हूँ तो सोचता हूँ,जब सोचता हूँ तो गुस्सा भी आता है और दुःख भी होता है।हो सकता है कि मेरी कही बातें आप को पसंद न आये।माफ़ कर दीजियेगा मगर मैंने किसी को भी खुश करने के लिहाज से नहीं लिखा है।मैंने सिर्फ वह लिखा है जो मुझे महसूस हुआ,जो मैंने समझा,जो मैंने देखा ।समाज में जो कुछ भी होता है वो अगर सही नहीं है तो सवाल उठेंगे और हज़ार बार उठेंगे। मेरे भीतर उठने वाले सवाल किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है,ये सवाल पूरे समाज से हैं। हमारा जागरूक होना ज़रूरी है। राज धर्म का पालन कोई नहीं करता मगर राज सभी को करना है। ऐसा नहीं है की अभी तक जो भी राजनेता हुए वो सभी बुरे थे पर वो कम थे। आज भी हमारे देश में बहुत से हिस्से ऐसे है जो आधुनिकता से कोसों दूर हैं, जिन्हें वो चीजे भी नहीं मिली हैं जो बहुत ज़रूरी हैं... जैसे शिक्षा,इलाज,सड़क,पानी आदि। हमारा देश बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है पर उस तरक्की का क्या फायदा जब मूलभूत ज़रूरते भी पू
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